Class 10 Hindi CBSE Guide
Ek Kahani Yeh Bhi by Mannu Bhandari
एक कहानी भी - मन्नू भंडारी
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Question: अजमेर पहुँचकर लेखिका के पिता ने किस अधूरे काम को पूरा किया ?
Answer: लेखिका के पिता जब इंदौर में थे, तो उन्होंने अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश तैयार करना प्रारम्भ किया था। आर्थिक संकट के कारण अजमेर आ जाने पर उन्होंने शब्दकोश रचना का अधूरा काम को आगे बढ़ाया और उसे पूरा किया।
Question: पिताजी के व्यक्तित्व के सकारात्मक पहलू किस कारण से समाप्त होते चले गए ?
Answer: अंग्रेजी - हिंदी शब्दकोश के निर्माण के लिए पिताजी को यश और प्रतिष्ठा तो बहुत मिली, परंतु उन्हें कोई आर्थिक लाभ न हुआ। और इस कारण उनकी आर्थिक स्थिति बदतर होती चली गयी। गिरती हुयी आर्थिक स्थिति के कारण ही पिताजी के व्यक्तित्व के सकारात्मक पहलू समाप्त होते चले गए।
Question:पिताजी ने अपने बच्चों को अपनी आर्थिक विवशताओं का भागीदार क्यों नहीं बनाया ?
Answer: पिताजी की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही थी। परंतु उनका अहंभाव कम होने के वजाय और बढ़ता ही जा रहा था। यदि वे अपनी आर्थिक विवशताओं के बारे में अपने बच्चों को बताते, तो उनके अहं को ठेस पहुँचती, जो उन्हें स्वीकार नहीं था। यही कारण था कि पिताजी ने अपने बच्चों को अपनी आर्थिक विवशताओं का भागीदार नहीं बनाया।
Question: लेखिका को पहली बार अपने वजूद का एहसास कब हुआ ?
Answer: लेखिका को पहली बार अपने वजूद का एहसास तब हुआ, जब उसकी बहन सुशीला शादी करके कोलकाता चली गई और दोनों बड़े भाई भी आगे की पढ़ाई के लिए बाहर चले गए। क्योंकि उस समय केवल लेखिका और उनके माता-पिता ही घर में रह गए।
Question: लेखिका को रसोई से दूर रखने के पीछे पिताजी का क्या उद्देश्य था ?
Answer: पिताजी रसोई को भटियारखाना कहते थे। उनका मानना था कि जो लड़की खाना पकाने जैसे घरेलू कार्यों में ही उलझकर रह जाती है, उसकी क्षमता और प्रतिभा समाप्त हो जाते हैं। सिर्फ रसोई में रहने के कारण लड़कियां अपनी प्रतिभा का विकास एवं उपयोग नहीं कर पाती।
Question: पिताजी ने लेखिका के लिए आज़ादी का क्या सीमा तय किये थे ?
Answer: पिताजी चाहते थे कि लेखिका उनकी उपस्थिति में घर आए हुए लोगों के बीच बैठकर देश की परिस्थितियों के बारे में जाने-समझे और उन लोगों से चर्चा में भाग ले। परंतु वे इस तरह की आज़ादी लेखिका को घर की चारदीवारी से बाहर नहीं देना चाहते थे। उन्हें यह गंवारा न था कि उनकी बेटी स्वंत्रता-आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरे।
Answer: लेखिका के पिताजी जब इंदौर में थे, तब वहाँ समाज में उनकी बड़ी प्रतिष्ठा थी। वे कांग्रेस से जुड़े हुए थे तथा समाज-सुधार के कार्यों में भी भाग लेते थे।
उन्होंने आठ-आठ, दस-दस विद्यार्थियों को अपने घर पर रखकर पढ़ाया, जिनमें से कई बाद में ऊँचे-ऊँचे पदों पर पहुँचे। इंदौर में अवस्थानकालिन वे दरियादिली भी खूब दिखाते थे।
उन्होंने आठ-आठ, दस-दस विद्यार्थियों को अपने घर पर रखकर पढ़ाया, जिनमें से कई बाद में ऊँचे-ऊँचे पदों पर पहुँचे। इंदौर में अवस्थानकालिन वे दरियादिली भी खूब दिखाते थे।
Question: लेखकीय उपलब्धियों के बात पर मन्नूजी संकोच से क्यों भर जाती हैं ?
Answer: लेखिका के पिताजी सदा उसकी खूब गोरी, स्वस्थ और हँसमुख बहन सुशीला की प्रशंसा करते रहते और काली तथा कमज़ोर होने के कारण लेखिका को हीन बताते।
पिताजी के लेखिका के प्रति ऐसे व्यवहार के चलते लेखिका के मन में हीन भाव की ग्रंथि पैदा हो गई, जिससे वह कभी भी नहीं उभर पाई। अचेतन मन के किसी परत के नीचे दबी इस हीन-भावना के कारण ही वह अपनी किसी भी उपलब्धि पर भरोसा नहीं कर पाती थी।
इसका एक कारण यह भी है कि उसकी लेखकीय उपलब्धियों का जिक्र आने पर वह संकोच अनुभव करने लगती है।
पिताजी के लेखिका के प्रति ऐसे व्यवहार के चलते लेखिका के मन में हीन भाव की ग्रंथि पैदा हो गई, जिससे वह कभी भी नहीं उभर पाई। अचेतन मन के किसी परत के नीचे दबी इस हीन-भावना के कारण ही वह अपनी किसी भी उपलब्धि पर भरोसा नहीं कर पाती थी।
इसका एक कारण यह भी है कि उसकी लेखकीय उपलब्धियों का जिक्र आने पर वह संकोच अनुभव करने लगती है।
Question: गिरती हुई आर्थिक परिस्थिति का लेखिका के पिताजी के व्यक्तित्व पर क्या प्रभाव पड़ा ?
Answer: आर्थिक स्थिति के निरंतर बदतर होते जाने के कारण लेखिका के पिताजी के व्यक्तित्व के सारे सकारात्मक पहलु समाप्त होते चले गए। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनकी खर्चीली आदतें उनके अंदर विवशता की भावना भरने लगीं। उनकी महत्वाकांक्षाएँ वह पूरी नहीं कर पा रहे थे। उनकी इच्छाएं अधूरी ही रहने लगी। वे समाज में हाशिए पर सरकते चले गए।
इन कारणों से उनके अंदर कुंठा का भाव आने लगा, जो बाद में क्रोध के रूप में प्रकट होता था। फलस्वरूप पिताजी के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगा और वे शक्की स्वभाव वाले बन गए।
इन कारणों से उनके अंदर कुंठा का भाव आने लगा, जो बाद में क्रोध के रूप में प्रकट होता था। फलस्वरूप पिताजी के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगा और वे शक्की स्वभाव वाले बन गए।
Question: 'एक कहानी यह भी' से पता चलता है कि लेखिका मन्नू भंडारी के पिता अंतर्विरोधों में जीवन गुजर रहे थे। इस विषय पर विचार व्यक्त कीजिये।
Answer: लेखिका मन्नू भंडारी के अत्यंत महत्वकांक्षी व्यक्ति थे। वे 'विशिष्ट' बने रहना चाहते थे और अपने बेटी भी वैसा ही बनाना चाहते थे। दूसरी ओर वे यह भी चाहते थे की उनकी बेटी घर की चारदीवारी से बाहर सड़कों पर न तो निकले, न नारेबाजी या भाषणबाजी करे, जिससे उनकी सामाजिक छवि साफ़-सुथरी बनी रहे। जबकि लेखिका के विचार में इस तरह के कार्यकलाप तो उन्हें विशिष्ट ही बनाते थे।
अर्थात, पिताजी की अपनी बेटी यानि लेखिका के लिए एकतरफ महत्वकांक्षा था पर साथ में अपने ही विचारों से उत्पन्न वाधाएं भी थी। यही मुख्य कारण था जिसके चलते लेखिका के पिता अंतर्विरोधों में जी रहे थे।
Question: गरीबी का जीवन पर क्या कुप्रभाव पड़ता है ?
Answer: गरीबी से मनुष्य के खुशियाँ तथा उदार भाव नष्ट हो जाता है। गरीबी के कारण व्यक्ति कंजूस, शक्की, संकोची और क्रोधी हो जाता है। लेखिका के पिता के साथ भी ऐसा हुआ था।
Question: लेखिका के बचपन में खेले जाने वाले खेल क्या थे ?
Answer: लेखिका के बचपन में खेले जानेवाले खेल थे - सतोलिया, लंगड़ी टाँग, पकड़म-पकड़ाई, काली-टीलो। भाईयों के साथ गिल्ली-डंडा भी खेला और पतंग भी उड़ाई।
Question: लेखिका के के पिताजी के खुशहाली के दिनों को व्यक्त कीजिए ।
Question: लेखिका के के पिताजी के खुशहाली के दिनों को व्यक्त कीजिए ।
Answer: अजमेर आने से पहले इंदौर के दिन खुशहाली के थे। जब वहाँ उनकी प्रतिष्ठा, मान-सम्मान सब कुछ था। वे समाज सुधार के सभी कार्यों से जुड़े रहते थे। उनकी उदारता के चर्चे सभी जगह थे। वे ज़रूरतमंद बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाते थे।
Question: लेखिका द्वारा पड़े गए उपन्यासों की सूची बनाये।
Answer: सुनीता, शेखर की जवानी, त्याग पत्र, चित्रलेखा, नदी के द्वीप।
(CBSE Guide NCERT Solution: Please keep in touch since more questions are to be added)
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NCERT solutions for the lesson Ek Kahani Yeah Bhi by Mannu Bhandari
it's very helpful. Thanks a lot for making this page . Some minor mistakes are there but if corrections are made, it will be perfect.
ReplyDeletethanks for this page . Some minor mistakes are there but if corrections are made then it will be perfect.
ReplyDeleteShreya Dutta, Thank you for your appreciations. We would request you to please point out such mistakes, if any at all so that it can be corrected. Assuring you and all of the best study materials.
DeleteVery helpful
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