Solutions of NCERT Class 9, Hindi KRITIKA BHAG 1
किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया
by Shamsher Bahadur Singh
Cbse Ncert Guide - Hindi (Kritika Bhag 1)
NCERT Hindi Textbook Exercise Questions
प्रश्न १: वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया?
उत्तर: उन दिनों लेखक कोई काम नहीं करता था | उससे परिवार के किसी सदस्य ने ऐसा वाक्य कह दिया होगा - "तुम व्यर्थ समय बर्बाद कर रहे हो, कोई काम क्यों नहीं करते" - यह वाक्य लेखक के ह्रदय में तीर की तरह चुभ गया होगा | यद्दपि उस समय उसके पास पाँच - सात रूपये ही थे, पर वह दिल्ली जाने को बाध्य हो गया | उसे दिल्ली जानेवाली जो पहली बस मिली, उसी पर चढ़ गया |
प्रश्न २: लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफ़सोस क्यों रहा होगा ?
उत्तर: लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने पर अफ़सोस इसलिए रहा होगा क्योंकि वह भारत की जन-भाषा नहीं थी | इसलिए भारत के लोग यानी उनके अपने लोग उसे समझ नहीं पाते होंगे |
प्रश्न ४: लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है ?
उत्तर: इस पाठ में लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के अनेक रूपों को उभारा है | बच्चनजी अत्यंत कोमल एवं सहृदय मनुष्य थे | वे परम सहयोगी, अत्यंत परोपकारी, संघर्षशील, कर्तव्यनिष्ठ एवं फौलादी व्यक्तित्व के धनी थे | बच्चनजी समय के अत्यंत पाबन्द होने के साथ-साथ कला - प्रतिभा के पारखी थे | वे ह्रदय से ही नहीं, कर्म से भी परम सहयोगी थे |
प्रश्न ५: बच्चन के व्यक्तित्व को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला ?
उत्तर: लेखक को बच्चन के अतिरिक्त निम्नलिखित लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ -
तेजबहादुर सिंह - ये लेखक के बड़े भाई थे | ये आर्थिक तंगी के दिनों में उन्हें कुछ रूपये भेजकर उनका सहयोग करते थे |
कवि नरेंद्र शर्मा - कवि नरेंद्र शर्मा लेखक के मित्र थे | एक दिन वे लेखक से मिलने के लिए बच्हन स्टूडियो में आये | छुट्टी होने कारण लेखक नहीं मिल सका | तब वे उनके नाम एक बहुत अच्छा और प्रेरक नोट छोड़ गए | इस नोट ने लेखक को बहुत प्रेरणा दी |
शारदाचरण उकील - ये कला शिक्षक थे | इनसे लेखक ने पेंटिंग की शिक्षा ली |
बच्चन के पिता - जब लेखक इलाहाबाद में आकर बस गया तो उन्हें स्थानीय अभिभावक की आवश्यकता थी | तब हरिवंशराय बच्चन के पिता ने उनका अभिभावक बन्ना स्वीकार किया |
सुमित्रानंदन पंत - हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने लेखक को इंडियन प्रेस से अनुबाद का काम दिला दिया | उन्होंने लेखक द्वारा लिखी कविताओं में कुछ संशोधन भी किया |
ससुराल पक्ष - जिन दिनों विधुर लेखक आजीविका कमाने के लिए संघर्ष कतर रहा था, तब ससुराल वालों ने उन्हें अपनी दुकान पर कम्पाउंडरी का प्रशिक्षण दिया |
तेजबहादुर सिंह - ये लेखक के बड़े भाई थे | ये आर्थिक तंगी के दिनों में उन्हें कुछ रूपये भेजकर उनका सहयोग करते थे |
कवि नरेंद्र शर्मा - कवि नरेंद्र शर्मा लेखक के मित्र थे | एक दिन वे लेखक से मिलने के लिए बच्हन स्टूडियो में आये | छुट्टी होने कारण लेखक नहीं मिल सका | तब वे उनके नाम एक बहुत अच्छा और प्रेरक नोट छोड़ गए | इस नोट ने लेखक को बहुत प्रेरणा दी |
शारदाचरण उकील - ये कला शिक्षक थे | इनसे लेखक ने पेंटिंग की शिक्षा ली |
बच्चन के पिता - जब लेखक इलाहाबाद में आकर बस गया तो उन्हें स्थानीय अभिभावक की आवश्यकता थी | तब हरिवंशराय बच्चन के पिता ने उनका अभिभावक बन्ना स्वीकार किया |
सुमित्रानंदन पंत - हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने लेखक को इंडियन प्रेस से अनुबाद का काम दिला दिया | उन्होंने लेखक द्वारा लिखी कविताओं में कुछ संशोधन भी किया |
ससुराल पक्ष - जिन दिनों विधुर लेखक आजीविका कमाने के लिए संघर्ष कतर रहा था, तब ससुराल वालों ने उन्हें अपनी दुकान पर कम्पाउंडरी का प्रशिक्षण दिया |
प्रश्न ६: लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिये |
उत्तर: प्रारम्भ में लेखक अंग्रेज़ी व उर्दू में काव्य - रचना करता था |
बच्चन जी से मिलने के बाद लेखक ने हिन्दी - लेखन में कदम रखा | वह बच्चन जी से प्रेरणा पाकर इलाहाबाद आया | वहाँ बच्चन जी, पंत और निराला से प्रेरणा पाकर हिन्दी - लेखन की ओर उन्मुख हुआ |
बच्चन जी से मिलने के बाद लेखक ने हिन्दी - लेखन में कदम रखा | वह बच्चन जी से प्रेरणा पाकर इलाहाबाद आया | वहाँ बच्चन जी, पंत और निराला से प्रेरणा पाकर हिन्दी - लेखन की ओर उन्मुख हुआ |
- सन १९३३ में लेखक की कुछ कविताएँ 'सरस्वती' व 'चाँद' पत्रिका में छपीं |
- १९३७ में लेखक ने बच्चन जी के बताये अनुसार १४ पंक्तियों की कविता को लिखने का प्रयास किया |
- लेखक ने 'निशा निमंत्रण के कवि के प्रति' एक कविता लिखी जिस पर पंत जी के कुछ संशोधन भी हुए, पर अप्रकाशित रही |
- फिर लेखक 'रूपाभ' के आफिस में प्रशिक्षण लेकर बनारस से प्रकाशित 'हंस' के कार्यालय में काम सँभाला |
प्रश्न ७: लेखक ने अपने जीवन में जिन कठिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए |
उत्तर: लेखक ने अपने जीवन में प्रारम्भ से ही अनेक कठिनाइयों को झेला |
वह किसी के व्यंग - बाण का शिकार होकर केवल पाँच - सात रूपए लेकर ही दिल्ली चला गया | वह बिना फीस के पेंटिंग के उकील स्कूल में भर्ती हो गया | वहाँ उसे साइन - बोर्ड पैंट करके गुजारा चलाना पड़ा |
लेखक की पत्नी का टी.बी. के कारण देहांत हो गया था, और वे युवावस्था में ही विधुर हो गए | इसलिए उन्हें पत्नी - वियोग का पीड़ा भी झेलना पड़ा | बाद में एक घटना - चक्र में लेखक अपनी ससुराल देहरादून आ गया | वहाँ वह एक दूकान पर कम्पाउंडरी सिखने लगा |
वह बच्चन जी के आग्रह पर इलाहाबाद चला गया | वहाँ बच्चन जी के पिता उसके लोकल गार्जियन बने | बच्चन जी ने ही उसकी एम्.ए. की पढ़ाई का खर्चा उठाया |
बाद में उसने इंडियन प्रेस में अनुबाद का काम भी किया | उसे हिन्दू बोर्डिंग हाउस के कामन - रूम में एक सीट फ्री मिल गयी थी | तब भी वह आर्थिक संघर्ष से जूझ रहा था |
वह किसी के व्यंग - बाण का शिकार होकर केवल पाँच - सात रूपए लेकर ही दिल्ली चला गया | वह बिना फीस के पेंटिंग के उकील स्कूल में भर्ती हो गया | वहाँ उसे साइन - बोर्ड पैंट करके गुजारा चलाना पड़ा |
लेखक की पत्नी का टी.बी. के कारण देहांत हो गया था, और वे युवावस्था में ही विधुर हो गए | इसलिए उन्हें पत्नी - वियोग का पीड़ा भी झेलना पड़ा | बाद में एक घटना - चक्र में लेखक अपनी ससुराल देहरादून आ गया | वहाँ वह एक दूकान पर कम्पाउंडरी सिखने लगा |
वह बच्चन जी के आग्रह पर इलाहाबाद चला गया | वहाँ बच्चन जी के पिता उसके लोकल गार्जियन बने | बच्चन जी ने ही उसकी एम्.ए. की पढ़ाई का खर्चा उठाया |
बाद में उसने इंडियन प्रेस में अनुबाद का काम भी किया | उसे हिन्दू बोर्डिंग हाउस के कामन - रूम में एक सीट फ्री मिल गयी थी | तब भी वह आर्थिक संघर्ष से जूझ रहा था |
CBSE Hindi Sample Questions on this chapter
प्रश्न १: शमशेर बहादुर सिंह हिंदी की तरफ क्यों आये ?
प्रश्न २: शमशेर ने जो सॉनेट बच्चन जी को भेजा, उसका मुख्य विषय क्या था ? उन्हों ने वह सॉनेट बच्चन जी को क्यों भेजा ?
प्रश्न ३: शमशेर को हिंदी की ओर किसने मोड़ा ?
प्रश्न ४: लेखक बच्चन जी की किस प्रतिभा के कायल हैं ?
नमस्कार
ReplyDeleteब्लोगिंग की दुनिया में भरापूरा स्वागत करते हैं.आपके ब्लॉग पर आकर कुछ सार्थकता लगी है.यूहीं लगातार बने रहें और बाकी के ब्लोगों परसफ़र करके अपनी राय जरुर लिखें.यही जीवन है.जो आपको ज्यादा साथियों तक जोड़ पायेगा.
सादर,
माणिक
आकाशवाणी ,स्पिक मैके और अध्यापन से सीधा जुड़ाव साथ ही कई गैर सरकारी मंचों से अनौपचारिक जुड़ाव
http://apnimaati.blogspot.com
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अपने ब्लॉग / वेबसाइट का मुफ्त में पंजीकरण हेतु यहाँ सफ़र करिएगा.
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