Class 9, Hindi Kshitij Bhag 1
NCERT (CBSE) Hindi Textbook Exercise Solutions
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न १: 'मानसरोवर' से कवि का क्या आशय है?
उत्तर: 'मानसरोवर' के दो अर्थ हैं -
उत्तर: 'मानसरोवर' के दो अर्थ हैं -
- एक पवित्र सरोवर जिसमें हंस विहार करते हैं।
- पवित्र मन या मानस।
प्रश्न २: कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?
उत्तर: कवि के अनुसार सच्चे प्रेमी की कसौटी यह है की उससे मिलने पर मन की सारी मलिनता नष्ट हो जाती है। पाप धुल जाते हैं और सदभावनाएँ जाग्रत हो जाती है।
प्रश्न ३: तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है?
उत्तर: इस दोहे में अनुभव से प्राप्त आध्यात्मिक ज्ञान को महत्व दिया गया है।
प्रश्न ४: इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?
उत्तर: कबीर के अनुसार, सच्चा संत वह है जो साम्प्रदायिक भेद-भाव, तर्क-वितर्क और वैर-विरोध के झगड़े में न पड़कर निश्छल भाव से प्रभु की भक्ति में लीं रहता है।
प्रश्न ५: अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?
उत्तर: अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने निम्नलिखित संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है -
(क) अपने-अपने मत को श्रेष्ठ मानने की संकीर्णता और दूसरे के धर्म की निंदा करने की संकीर्णता।
(ख) ऊंचे कुल के अहंकार में जीने की संकीर्णता।
प्रश्न ६: किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिये।
उत्तर: किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है, न कि उसके कुल से। आज तक हजारों राजा पैदा हुए और मर गए। परन्तु लोग जिन्हें जानते हैं, वे हैं - राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर आदि। इन्हें इसलिए जाना गया क्योंकि ये केवल कुल से ऊँचे नहीं थे, बल्कि इन्होंने ऊँचें कर्म किए। इनके विपरीत कबीर, सूर, युल्सी बहुत सामान्य घरों से थे। इन्हें बचपन में ठोकरें भी कहानी पड़ीं। परन्तु फ़िर भी वे अपने श्रेष्ठ कर्मों के आधार पर संसार-भर में प्रसिद्ध हो गए। इसलिए हम कह सकते हैं कि महत्व ऊँचे कर्मों का होता है, कुल का नहीं।
प्रश्न ८: मनुष्य इश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है?
उत्तर: मनुष्य इश्वर को मंदिर, मसजिद, काबा, कैलाश, योग, वैराग्य तथा विविध पूजा-पद्धतियों में ढूँढ़ता फिरता है। कोई अपने देवता के मंदिर में जाता है, कोई मसजिद में जाता है। कोई उसे अपने तीर्थ स्थलों में खोजता है। कोई योग-साधना या संन्यास में परमात्मा को खोजता है। कोए अन्य किसी साधना पद्धति को अपनाकर इश्वर को खोजता है।
प्रश्न ९: कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?
उत्तर: कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। उनके अनुसार ईश्वर न मंदिर में है, न मसजिद में; न काबा में हैं, न कैलाश आदि तीर्थ यात्रा में; वह न कर्म करने में मिलता है, न योग साधना से, न वैरागी बनने से। ये सब उपरी दिखावे हैं, ढोंग हैं। इनमें मन लगाना व्यर्थ है।
प्रश्न १०: कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वांसों की स्वाँस में' क्यों कहा है?
उत्तर: कबीर के अनुसार, ईश्वर घाट-घाट में व्याप्त कण-कण में विराजमान हैं। स्वाँस-स्वाँस में समाया हुआ है। वह हर प्राणी के मन में विराजमान हैं।
प्रश्न ११: कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आंधी से क्यों की?
उत्तर: कबीर के अनुसार, जब प्रभु-ज्ञान का आवेश होता है उसका प्रभाव चमत्कारी होता है। उससे पूरी जीवन-शैली बदल जाती है। सांसारिक बंधन पूरी तरह कट जाते हैं। यह परिवर्तन धीरे-धीरे नहीं होता है, बल्कि एकाएक और पूरे वेग से होता है। इसीलिए उसकी तुलना सामान्य हवा से न करके आंधी से की गई है।
प्रश्न १२: ज्ञान की आंधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: ज्ञान की आंधी के आने से भक्त के मन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। उसके मन के भ्रम दूर हो जाते हैं। माया, मोह, स्वार्थ, धन, तृष्णा, कुबुद्धि और विकार समाप्त हो जाते हैं। इसके बाद उसके शुद्ध मन में भक्ति और प्रेम की वर्षा होती है जिससे जीवन में आनंद ही आनंद छा जाता है।
Further Study उत्तर: कवि के अनुसार सच्चे प्रेमी की कसौटी यह है की उससे मिलने पर मन की सारी मलिनता नष्ट हो जाती है। पाप धुल जाते हैं और सदभावनाएँ जाग्रत हो जाती है।
प्रश्न ३: तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है?
उत्तर: इस दोहे में अनुभव से प्राप्त आध्यात्मिक ज्ञान को महत्व दिया गया है।
प्रश्न ४: इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?
उत्तर: कबीर के अनुसार, सच्चा संत वह है जो साम्प्रदायिक भेद-भाव, तर्क-वितर्क और वैर-विरोध के झगड़े में न पड़कर निश्छल भाव से प्रभु की भक्ति में लीं रहता है।
प्रश्न ५: अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?
उत्तर: अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने निम्नलिखित संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है -
(क) अपने-अपने मत को श्रेष्ठ मानने की संकीर्णता और दूसरे के धर्म की निंदा करने की संकीर्णता।
(ख) ऊंचे कुल के अहंकार में जीने की संकीर्णता।
प्रश्न ६: किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिये।
उत्तर: किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है, न कि उसके कुल से। आज तक हजारों राजा पैदा हुए और मर गए। परन्तु लोग जिन्हें जानते हैं, वे हैं - राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर आदि। इन्हें इसलिए जाना गया क्योंकि ये केवल कुल से ऊँचे नहीं थे, बल्कि इन्होंने ऊँचें कर्म किए। इनके विपरीत कबीर, सूर, युल्सी बहुत सामान्य घरों से थे। इन्हें बचपन में ठोकरें भी कहानी पड़ीं। परन्तु फ़िर भी वे अपने श्रेष्ठ कर्मों के आधार पर संसार-भर में प्रसिद्ध हो गए। इसलिए हम कह सकते हैं कि महत्व ऊँचे कर्मों का होता है, कुल का नहीं।
प्रश्न ८: मनुष्य इश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है?
उत्तर: मनुष्य इश्वर को मंदिर, मसजिद, काबा, कैलाश, योग, वैराग्य तथा विविध पूजा-पद्धतियों में ढूँढ़ता फिरता है। कोई अपने देवता के मंदिर में जाता है, कोई मसजिद में जाता है। कोई उसे अपने तीर्थ स्थलों में खोजता है। कोई योग-साधना या संन्यास में परमात्मा को खोजता है। कोए अन्य किसी साधना पद्धति को अपनाकर इश्वर को खोजता है।
प्रश्न ९: कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?
उत्तर: कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। उनके अनुसार ईश्वर न मंदिर में है, न मसजिद में; न काबा में हैं, न कैलाश आदि तीर्थ यात्रा में; वह न कर्म करने में मिलता है, न योग साधना से, न वैरागी बनने से। ये सब उपरी दिखावे हैं, ढोंग हैं। इनमें मन लगाना व्यर्थ है।
प्रश्न १०: कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वांसों की स्वाँस में' क्यों कहा है?
उत्तर: कबीर के अनुसार, ईश्वर घाट-घाट में व्याप्त कण-कण में विराजमान हैं। स्वाँस-स्वाँस में समाया हुआ है। वह हर प्राणी के मन में विराजमान हैं।
प्रश्न ११: कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आंधी से क्यों की?
उत्तर: कबीर के अनुसार, जब प्रभु-ज्ञान का आवेश होता है उसका प्रभाव चमत्कारी होता है। उससे पूरी जीवन-शैली बदल जाती है। सांसारिक बंधन पूरी तरह कट जाते हैं। यह परिवर्तन धीरे-धीरे नहीं होता है, बल्कि एकाएक और पूरे वेग से होता है। इसीलिए उसकी तुलना सामान्य हवा से न करके आंधी से की गई है।
प्रश्न १२: ज्ञान की आंधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: ज्ञान की आंधी के आने से भक्त के मन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। उसके मन के भ्रम दूर हो जाते हैं। माया, मोह, स्वार्थ, धन, तृष्णा, कुबुद्धि और विकार समाप्त हो जाते हैं। इसके बाद उसके शुद्ध मन में भक्ति और प्रेम की वर्षा होती है जिससे जीवन में आनंद ही आनंद छा जाता है।
Cbse Class IX Ncert Hindi (Khsitij Bhag 1), Chapter 9 (Kabeer) - Important Notes and Sample Questions READ
txt book me kabirdas ki dob galat hai..he would be of 120yrs on dieing if it would be 1398-1518..its 1440-1518!!!
ReplyDeletedont change in eng
ReplyDeleteso what! people like him can live for 100+ years.
ReplyDeleteaccording to you #Anurag..... he's alive till now?????
ReplyDeletei cant print the screen
ReplyDeletePlease give very short answers also
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