NCERT (CBSE) Class 9 Hindi Course 'A'
Kritika Bhag -1 (NCERT Chapter Exercise Solutions)
मेरे संग की औरतें (पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास)
प्रश्न १: लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं ?
उत्तर: लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं
था, किंतु उनके बारे में सुना अवश्य था| उसने सुना था कि उसकी नानी ने
अपनी जीवन के अंतिम दिनों में प्रसिद्व क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से
भेंट की थी| उस भेंट में उन्हों ने यह इच्छा प्रकट की थी कि वे अपनी बेटी
की शादी किसी क्रांतिकारी से करवाना चाहती है, अंग्रेजों के किसी भक्त से
नहीं| उनकी इस इच्छा में देश की स्वतंत्रता की पवित्र भावना थी| यह भावना
बहुत सच्ची थी| इसमें साहस था| जीवन-भर परदे में रहकर भी उन्होंने किसी
पर-पुरुष से मिलने की हिम्मत की| इससे उनके साहसी व्यक्तित्व और मन में
सुलगती स्वतंत्रता की भावना का पता चला| लेखिका इन्हीं गुणों के कारण अपनी
नानी की व्यक्तित्व से प्रभावित थी तथा उनकी सम्मान करती थी|
प्रश्न २: लेखिका ने नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही ?
उत्तर: लेखिका ने नानी की आज़ादी के आंदोलन में
खुलकर भाग न ले सकी| उसकी परिस्थितियाँ ऐसी नहीं थीं कि वह खुलकर आंदोलन
में भाग ले सके| पर उसने स्वतंत्रता की भावना को मन-ही-मन पनपने दिया|
उसने कभी अंग्रेजियत को स्वीकारा नहीं| उसका पति अंग्रेजों का भक्त था, फिर
भी उसने कभी अंग्रेजों की जीवन शैली को अपनाया नहीं| उसने सबसे बड़ा योगदान
यह किया कि अपने बच्चों को अँगरेज़-भक्तों से मुक्त करा लिया| उसने अपनी
बेटी की शादी एक क्रांतिकारी से करा दी ताकि उसकी बेटी और उसके बच्चे देश
के लिए कुछ कर सकें| इस घटना से क्रान्तिकारीओं को जो उत्साह मिला होगा,
उसकी कल्पना ही की जा सकती है|
प्रश्न ३ (क): लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए |
उत्तर:
लेखिका की माँ की स्थितियाँ और व्यक्तित्व दोनों असाधारण थे| उनके
व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए काम
करती थीं| उनकी सोच मौलिक थी| लेखिका के शब्दों में - वह "खुद अपने तरीके
से" आज़ादी के जुनून को निभाती थीं| इस विशेषता के कारण घर-भर के लोग उसका
आदर करते थे| कोई उनसे घर-गृहस्थी का काम नहीं करवाता था| उनका व्यक्तित्व
ऐसा प्रभावी था कि ठोस कामों के बारें में केवल उनसे राय ली जाती थी एवं उस
राय को पत्थर की लकीर मानकर निभाया जाता था| लेखिका का माँ का सारा समय
किताबें पढ़ने, साहित्य-चर्चा करने और संगीत सुनने में बीतता था| वे कभी
बच्चों के साथ लाड़-प्यार भी नहीं करती थीं| उनके मान-सम्मान के दो प्रमुख
कारण थे| वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं| वे एक की गोपनीय बात दूसरे से नहीं
करती थीं|
प्रश्न ४: आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी ?
उत्तर:
पाठ को पढ़कर लगता है कि लेखिका की परदादी ने भी अपने समय में लड़की के
साथ होनेवाले अपमान और तिरस्कार को जाना होगा| पर वे लीक से परे चलनेवाली
औरत थी| उसे मन-ही-मन लगता होगा कि देवी का रूप होने पर भी लड़की का इतना
तिरस्कार क्यों होता है ? कब उसका सम्मान होना शुरू होगा ? शायद इसीलिये
उसने अपनी इस भावना को घर में ही फलते-फूलते देखना चाहा होगा| उसने समाज
में यह भाव भरना चाहा होगा कि यहाँ लड़कियों का सम्मान होता है| अतः तुम भी
उन्हें सम्मान दो| परदादी ने यह भी सोचा होगा कि अगर लड़कियों का सम्मान
होगा तो वे सम्मान, आत्मविश्वास और साहस से भरकर शक्तिशाली बन सकेंगें|
शायद इन्हीं कारणों की वजह से परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी|
प्रश्न
५: डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी
सही राह पर लाया जा सकता है - पाठ के आधार पर तर्क-सहित उत्तर दीजिये |
उत्तर:
इस पाठ से स्पष्ट है कि मनुष्य के पास सबसे प्रभावी अस्त्र है - अपना दृढ़
विशवास और सहज व्यवहार| यदि कोई सगा-संबंधी गलत राह पर हो तो उसे डराने-धमकाने,
उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से व्यवहार करना चाहिए| लेखिका की
नानी ने भी यही किया| उन्हों ने अपने पति की अंग्रेज़-भक्ति का न तो मुखर
विरोध किया, न समर्थन किया| वे जीवन भर अपने आदर्शों पर टिकी रहीं|
परिणामस्वरूप अवसर आने पर वह मनवांछित कार्य कर सकीं|
लेखिका
के माता ने चोर के साथ जो व्यवहार किया, वह तो सहजता का अनोखा उदाहरण है|
उसने न तो चोर को पकड़ा, न पिटवाया, बल्कि उससे सेवा ली और अपना पुत्र बना
लिया| उसके पकड़े जाने पर उसने उसे उपदेश भी नहीं दिया| उसने इतना ही कहा -
अब तुम्हारी मर्जी - चाहे चोरी करो या खेती| उसकी इस सहज भावना से चोर का
ह्रदय परिवर्तित हो गया| उसने सदा के लिए चोरी छोड़ दी और खेती को अपना
लिया|
Thanks For the answers buddy . :)
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