Cbse Ncert solutions of Kshitij Bhag 2, Class 10 Hindi (Course A) - जयशंकर प्रसाद (आत्मकथ्य) - Answers of Textbook Exercise Questions

 

CBSE Guide NCERT Solutions of Hindi Class 10 Kshitij Bhag 2

CBSE Board, Class 10 Hindi (Course A) 

जयशंकर प्रसाद (आत्मकथ्य) 
Jaishankar Prasad (Aatmakathya)

NCERT answers of Hindi Textbook Exercise (Important Questions)

1. कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहते हैं ?
Answer: कवि आत्मकथा लिखने से  बचना चाहते हैं क्योंकि  जीवन में बहुत सारी पीडादायक घटनाएँ हुई हैं । अपनी सरलता के कारण उसने कई बार धोखा भी खाया है । कवि के पास मात्र कुछ सुनहरे क्षणों की स्मृतियाँ ही शेष हैं जिसके सहारे वह अपनी जीवन - यात्रा पूरी कर रहा है । उन यादो को उसने अपने अंतर मन सँजोकर रखा है और उन्हें वह प्रकट करना नहीं चाहता है। कवि को लगता है की उनकी आत्मकथा में ऐसा कुछ भी नहीं हैं जिसे महान और सेवक मानकर लोग आनंदित होंगें ।
इन्हीं कारणों से कवि  लिखने से बचना चाहता है । 

2. आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में 'अभी समय भी नहीं' कवि ऐसा क्यों कहता है ? 
Answer: कवि कहता है कि उसके लिए आत्मकथा सुननाने का यह उचित समय नहीं है । कवि  द्वारा ऐसा कहने का कारण है यह है कि कवि  को अभी सुखों के के सिवाय और कोइ उपलब्धि नहीं मिल सकी है । कवि  का जीवन दुःख और अभावों से भरा रहा हैं । कवि को अपने जीवन में जो बाहरी पीड़ा मिली है, उसे वह चुपचाप अकेले ही सहा है । जीवन का इस पड़ाव पर उसके जीवन के सभी दुःख तथा व्यथाएँ थककर सोई हूई है,, अर्थात बहुत मुश्किल से कवि को अपनी पुराणी वेदना से मुक्ति मिल चुकी है । आत्मकथा लिखने के लिए के लिए कवि को अपने जीवन की उन सभी व्यथाओं को जगाना होगा और कवि ऐसा प्रतीत होता है कि अभी उसके जीवन में ऐसी कोइ उपलब्धि नहीं मिली है जिसे वह लोगों के सामने प्रेरणास्वरूप रख सके । इन्हीं कारणों से कवि अपनी आत्मकथा अभी नहीं लिखना चाहता ।

3. स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का क्या आशय है ? 
Answer: स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का आशय जीवनमार्ग के प्रेरणा से है । कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था, वह उसे कभी प्राप्त नहीं हुआ। इसलिए कवि स्वयं को जीवन - यात्रा से थका हुआ   मानता है। जिस प्रकार 'पाथेय' यात्रा में यात्री को सहारा देता है, आगे  बढ़ने की प्रेरणा देता है ठिक उसी प्रकार स्वप्न में देखे हुए किंचित सुख की स्मृति भी कवि को जीवन - मार्ग में आगे बढ़ने का सहारा देता है ।        
     

4. भाव स्पष्ट कीजिए -
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया ।
       आलिंगन में आते - आते मुसक्या कर भाग गया । 
(ख) जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुन्दर छाया में । 
       अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में । 
Answer:
(क) मुझे वह सुख कहाँ मिल पाया जिसका सपना देखते - देखते मैं जाग गया था, जो सुख मेरे गले लगते - लगते मुस्कुराते हुए  भागकर गया था । 
भाव यह है कि कवि ने जिस सुख की  कल्पना की थी वह उसे कभी प्राप्त न हुआ और उसका जीवन  हमेशा उस सुख से वंचित ही रहा ।
(ख) कवि  ने इन पंक्तियों में स्वप्न में देखे गए सुख के स्वरुप को स्पष्ट किया है । कवि के प्रिय का रूप बहुत मनमोहक है । ऐसा लगता है मानो उसके लाल गालों से अनुराग झलक रहा है और गालों की लाली प्राप्त करती है । ऐसा लगता है जैसे प्रिय की गालों की यह लालीमा प्रातःकालीन आकाश में प्रतिबिंबित हो रही है ।
       

5. 'उज्जवल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की' - कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?
Answer: उक्त पंक्तोयों से से कवि का आशय निजी प्रेम का उन मधुर और सुख-भरे क्षणों से है, जो कवि ने अपनी प्रेमिका के साथ व्यतीत किये थे । चाँदनी रातों में बिताए गए वे सुखदायक क्षण किसी उज्ज्वल गाथा की तरह ही पवित्र है जो कवि के लिए अपने अन्धकारमय जीवन में आगे बढ़ने का एकमात्र सहारा बनकर रह गया । इसीलिए कवि अपने जीवन की उन मधुर स्मृतियों को किसी से बाँटना नहीं चाहता बल्कि अपने तक ही सीमित रखना चाहता है ।

7. कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है ?
Answer: कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे वह अपने प्रेमिका के रूप में व्यक्त किया है । यह प्रेमिका स्वप्न में कवि के पास आते-आते मुस्कराकर दूर चली जाती है और कवि को सुख से वंचित ही रहना पड़ता है । कवि कहता है की अपने जीवन में वह जो सुख का सपना देखा था,, वह उसे कभी प्राप्त नहीं हुआ ।

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