Kshitij Bhag 2 - Mannu Bhandari - एक कहानी यह भी - Class 10, Hindi Answers of NCERT Textbook Questions

 

  एक कहानी यह भी - by Mannu Bhandari

CBSE - Class 10, Hindi (Kshitij Bhag 2) Answers

Also study: CBSE extra important questions from Class 10 Ek Kahani Yeh Bhi by Mannu Bhandari -

Solutions of NCERT Textbook Exercise Questions

प्रश्न 1: लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तिओं का किस रूप में प्रभाव पड़ा ?
Answer: 
पिता का प्रभाव: लेखिका के व्यक्तित्व पर उनके पिता का अनेक रूपों में प्रभाव पड़ा। लेखिका के पिता गोरा रंग पसंद करते थे। लेखिका काली थी, जबकि उसकी बड़ी बहन सुशीला गोरी। इस कारण वे सुशीला को पसंद करते थे और उसकी प्रशंसा भी करते थे। उनके इस कार्य से लेखिका के भीतर गहरे हीन-भाव की ग्रंथि पैदा हो गई। इसका परिणामस्वरूप लेखिका के मन में आत्मविश्वास की कमी हो गयी। लेखिका के व्यक्तित्व के पर उसके पिता का प्रभाव कहीं कुंठा, कहीं प्रतिक्रिया तो कहीं प्रतिच्छाया के रूप में पड़ा। 
माँ का प्रभाव: लेखिका की माँ में अत्यधिक धैर्य और सहनशक्ति थी। मजबूरी में लिपटा उनका त्याग लेखिका का आदर्श न बन सका और उसके व्यक्तित्व में पुरूषों की ज़्यादती के प्रति विद्रोह का भाव आ गया। इसप्रकार लेखिका के जीवन में उसके माँ का व्यक्तित्व का कोई विशेष प्रभाव न पड़ सका।
शीला अग्रवाल का प्रभाव: लेखिका के व्यक्तित्व पर शीला अग्रवाल की साहित्यिक रुचि और उनकी संघर्षशीलता का व्यापक प्रभाव पड़ा। इस कारण लेखिका के साहित्य का दायरा बढ़ गया। वह देश व समाज की स्थिति के प्रति अधिक जागरूक हो गई और स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी निभाने लगी। इसप्रकार उसके व्यक्तित्व में संघर्षशीलता और जुझारूपन आ गया।        
प्रश्न 2: इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर क्यों संबोधित किया है ?
Answer: लेखिका के पिता का मानना कि रसोई का काम में लग जाने के कारण लड़कियों की क्षमता और प्रतिभा नष्ट हो जाती है। वे पकाने - खाने तक ही सीमित रह जाती हैं और अपनी सही प्रतिभा का उपयोग नहीं कर पातीं। इसप्रकार प्रतिभा को भट्टी में झोंकने वाली जगह होने के कारण ही वे रसोई को 'भटियारखाना' कहकर संबोधित करते थे।
प्रश्न 3: वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर ?
Answer: एक बार कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र आया कि लेखिका के पिताजी आकर मिलें और बताएँ की लेखिका की गतिविधियों के खिलाफ क्यों न अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये। पत्र  पढ़कर पिताजी गुस्से से भन्नाते हुए कॉलेज गए। परंतु वहाँ से घर लौटे तो बहुत खुश थे। वे लेखिका के प्रशंसा करते हुए कहने लगे कि सारे कॉलेज की लड़कियों पर तेरा इतना रौब है की तुम्हारे एक इशारे पर वे क्लास छोड़कर मैदान में आ जाती हैं और नारे लगाने लगती हैं। 
पिताजी ने यह भी बताया कि वे बड़े गर्व से प्रिंसिपल को कहकर आयें हैं कि स्वतंत्रता की संघर्ष तो पूरे देश की पुकार है, इसे कौन रोक सकता है? 
अपने मुँह से पिताजी द्वारा ऐसी प्रशंसा सुनने के बाद लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया, न कानों पर।    
प्रश्न 4: लेखिका को अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए। 
Answer: 
  1. लेखिका कॉलेज के दिनों में विद्रोही स्वभाव वाली बन चुकी थी। देश की आजादी के लिए संघर्ष करने की भावना से वह प्रेरित हो चुकी थी।
  2. यद्दपि उसके पिताजी भी देश की स्थितियों के प्रति जागरूक थे, परन्तु वे लड़कियों की भूमिका घर की चार दीवारी के अन्दर ही बनाए रखने के पक्षधर थे। 
  3. इस बात पर लेखिका की उनसे वैचारिक टकराहट हो जाती थी। लेखिका सिर्फ विचारों से ही नहीं, बल्कि कर्म से भी संघर्ष में सक्रिय भागीदारी निभाना चाहती थी। 
  4. लेखिका के माँ के साथ लेखिका के पिताजी का व्यवहार अच्छा नहीं था। स्त्री के प्रति ऐसे व्यवहार को लेखिका कभी भी उचित नहीं समझती थी। अपने माँ के प्रति ऐसा व्यवहार लेखिका को उनके पिताजी का ज़्यादती लगता था। 
  5. उसका हाथ उठा-उठा कर नारे लगवाना, हड़ताल करवाना और लड़कों के साथ सड़कों पर घूमना पिताजी को पसंद न था। 
  6. लेखिका के लिए भी पिताजी द्वारा दी गयी आज़ादी के सीमित दायरे में चलना गंवारा न था।
    

 

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