Class 10 NCERT Hindi KSHITIJ BHAG - 2
Chapter 13, Sarveshwar Dayal Saxena (मानवीय करूणा की दिव्य चमक)
CBSE Guide - Solutions of CBSE Sample Questions
Question 1: (क) 'परिमल' क्या है? फ़ादर बुल्के 'परिमल' के साथ किस प्रकार जुड़े थें?
(ख) लेखक को 'परिमल' के दिन क्यों याद आते थे ?
Answer: (क) 'परिमल' एक साहित्यिक संस्था है जो लेखक, फ़ादर बुल्के और उनके साथियों ने मिलकर बनाई थी। फ़ादर 'परिमल' के गोष्ठियों में गंभीर बहस करते थे तथा लेखक और उसके साथियों के रचनाओं पर अपनी स्पष्ट राय व्याक्त करते थे। वे उन लोगों को सुझाव देते, उनके पारिवारिक उत्सवों और संस्कार में सम्मिलित होकर उन्हें आशीर्वाद भी देते थे।
(ख) 'परिमल' एक साहित्यिक संस्था थी जिसका गठन लेखक, फ़ादर और उनके साथियों ने मिलकर किया था। लेखक को 'परिमल' के दिन इसलिए याद आते थे, क्योंकि उसमें सभी एक पारिवारिक रिश्ते कि तरह बँधे थे और उसमें जेष्ठ फ़ादर बुल्के ही थे, जो उस संस्था के सभी के साथ निर्लिप्त भाव से सम्मिलित होकर सबका पथ प्रदर्शन करते थे।
(ख) 'परिमल' एक साहित्यिक संस्था थी जिसका गठन लेखक, फ़ादर और उनके साथियों ने मिलकर किया था। लेखक को 'परिमल' के दिन इसलिए याद आते थे, क्योंकि उसमें सभी एक पारिवारिक रिश्ते कि तरह बँधे थे और उसमें जेष्ठ फ़ादर बुल्के ही थे, जो उस संस्था के सभी के साथ निर्लिप्त भाव से सम्मिलित होकर सबका पथ प्रदर्शन करते थे।
Question 2: 'फ़ादर बुल्के संकल्प से संन्यासी थे।' इस कथन से लेखक का क्या आशय है ?
Answer: इस कथन के द्वारा लेखक यही कहना चाहता है कि फादर बुल्के के मन में संन्यास लेने की भावना जब आई तभी उन्होंने संकल्प कर लिया कि उन्हें संन्यासी बनना है। यही वजह है कि उन्होंने अपने पढ़ाई को बीच बीच में ही छोड़कर सशर्त संन्यास ले लिया, हालाकि उनका मन पूर्णतया संन्यासी नहीं बन सका
Question 3: फ़ादर बुल्के संन्यासी बनने के लिए क्या शर्त रखी थी और उसका क्या परिणाम हुआ ?
Answer: संन्यासी बनने के लिए फ़ादर ने यह शर्त रखी कि संन्यास लेने के बाद उन्हें बेल्जियम से भारत भेज दिया जायगा।
उनकी शर्त को स्वीकार कर लिया गया था और वे संन्यास लेने के पश्चात भारत आ गए।
उनकी शर्त को स्वीकार कर लिया गया था और वे संन्यास लेने के पश्चात भारत आ गए।
Question 4: 'फ़ादर बुल्के अपने व्यक्तिगत सम्बंधों का गम्भीरतापूर्वक निर्वाह करते थे।' - अपनी भाषा में इसे स्पष्ट करें।
Answer: यह सच है कि फ़ादर अपने व्यक्तिगत संबंधों के प्रति अत्यंत सम्बेदंशील थे तथा वे उनको बड़ी गम्भीरतापूर्वक निभाते थे।
वे अपने प्रियजनों के घरों में होने वाले किसी भी उत्सव और संस्कार में न केवल जाते थे बल्कि एक बड़े भाई की तरह सम्मिलित होकर आशीर्वादों से उनकी झोली भर देते थे।
वे अपने प्रियजनों के घरों में होने वाले किसी भी उत्सव और संस्कार में न केवल जाते थे बल्कि एक बड़े भाई की तरह सम्मिलित होकर आशीर्वादों से उनकी झोली भर देते थे।
Question 5: फादर के मृत्युपरांत लोगों द्वारा दी गई श्रद्धांजलि से फ़ादर का किस प्रकार का व्यक्तित्व उभर कर आता है ?
Answer: फ़ादर बुल्के के मृत्यु के समय लोगों के मन अत्यंत दुःख व उदासी के भाव से भरे हुए थे। वहाँ उपस्थित सभी लोगों की आँखें नम थी।
सेंट ज़ेवियर्स के रेक्टर फ़ादर पास्कल ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि फ़ादर बुल्के धरती में जा रहे हैं। इस धरती से ऐसे रत्न और पैदा हों। उनको दी गयी इस श्रद्धांजलि से उनके व्यक्तित्व की महानता का पता चलता है।
उनके व्यक्तित्व की महानता के कारण ही लेखक (Sharveshwar Dayal Saxena) ने उन्हें 'मानवीय करूणा की दिव्य चमक' कहा है।
सेंट ज़ेवियर्स के रेक्टर फ़ादर पास्कल ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि फ़ादर बुल्के धरती में जा रहे हैं। इस धरती से ऐसे रत्न और पैदा हों। उनको दी गयी इस श्रद्धांजलि से उनके व्यक्तित्व की महानता का पता चलता है।
उनके व्यक्तित्व की महानता के कारण ही लेखक (Sharveshwar Dayal Saxena) ने उन्हें 'मानवीय करूणा की दिव्य चमक' कहा है।
Question 6: 'मानवीय करूणा की दिव्य चमक' में लेखक को कई बार लगता है कि फ़ादर बुल्के, दरअसल मन से संन्यासी नहीं थें। इसका क्या कारण हो सकता है ?
Answer: लेखक को कई बार ऐसा लगता था कि फ़ादर मन से संन्यासी नहीं थे।
इसका कारण यह था कि फ़ादर यदि किसी से रिश्ते बनाते थे तो उसे किसी भी हालत में तोड़ नहीं पाते। बल्कि वे अपने रिश्तों को अंत तक निभाते थे।
लेखक के विचार से संन्यासी के में में तो वैराग्य की भावना होनी चाहिए। संन्यासी के मन में किसी प्रकार की मोह या आकर्षण नहीं होना चाहिए, जबकि फ़ादर दिल्ली आने पर लेखक से जरूर मिलते थे, समय की कमी अथवा मौसम के विपरीत होने पर भी।
CBSE Sample Questions with Short Answers
इसका कारण यह था कि फ़ादर यदि किसी से रिश्ते बनाते थे तो उसे किसी भी हालत में तोड़ नहीं पाते। बल्कि वे अपने रिश्तों को अंत तक निभाते थे।
लेखक के विचार से संन्यासी के में में तो वैराग्य की भावना होनी चाहिए। संन्यासी के मन में किसी प्रकार की मोह या आकर्षण नहीं होना चाहिए, जबकि फ़ादर दिल्ली आने पर लेखक से जरूर मिलते थे, समय की कमी अथवा मौसम के विपरीत होने पर भी।
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Question 7: निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए -
(क) फ़ादर की मृत्यु किससे हुई थी ? लेखक को यह बुरा क्यों लगा ?
(ख) हिन्दी के लिए फ़ादर बुल्के के मन में क्या भाव था ?
(ग) फादर के रचनात्मक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
(घ) फादर बुल्के के व्यक्तित्व की किन्ही दो विशेषताओं का उल्लेख करें।
(क) फ़ादर की मृत्यु किससे हुई थी ? लेखक को यह बुरा क्यों लगा ?
(ख) हिन्दी के लिए फ़ादर बुल्के के मन में क्या भाव था ?
(ग) फादर के रचनात्मक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
(घ) फादर बुल्के के व्यक्तित्व की किन्ही दो विशेषताओं का उल्लेख करें।
Answer:
(क) फ़ादर की मृत्यु जहरबाद अर्थात गैंग्रीन नामक रोग से हुई। उनका एक फोड़ा पाक जाने की वजह से जहर पुरे शरीर में फ़ैल गया था। लेखक को यह बुरा इसलिए लगा क्यों कि फ़ादर जीवन भर दूसरों के लिए मिठास भरा अमृत ही बाँटते रहें।
(ख) हिन्दी के लिए फ़ादर बुल्के के मन में अत्यंत उच्च भाव था। वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते थे। वे हिंदी के पक्ष में अकाट्य तर्क देते थे। हिन्दी की उपेक्षा से वे दुःखी हो जाते थे।
(ग)
१. मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ब्लू बर्ड का रूपांतर नीलपंछी।
२. अंग्रेज़ी हिन्दी शब्द कोश का निर्माण।
३. बाईबल का हिन्दी अनुवाद।
(घ)
१. फ़ादर बुल्के का व्यक्तित्व एक छायादार वृक्ष के सामान था, जो सभी को आश्रय प्रदान करता था।
२. उनके व्यक्तित्व में मानवीय करूणा की दिव्य चमक थी। फ़ादर अपने व्यक्तिगत संबंधों के प्रति अत्यंत सम्बेदंशील थे तथा वे उनको बड़ी गम्भीरतापूर्वक निभाते थे।
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(क) फ़ादर की मृत्यु जहरबाद अर्थात गैंग्रीन नामक रोग से हुई। उनका एक फोड़ा पाक जाने की वजह से जहर पुरे शरीर में फ़ैल गया था। लेखक को यह बुरा इसलिए लगा क्यों कि फ़ादर जीवन भर दूसरों के लिए मिठास भरा अमृत ही बाँटते रहें।
(ख) हिन्दी के लिए फ़ादर बुल्के के मन में अत्यंत उच्च भाव था। वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते थे। वे हिंदी के पक्ष में अकाट्य तर्क देते थे। हिन्दी की उपेक्षा से वे दुःखी हो जाते थे।
(ग)
१. मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ब्लू बर्ड का रूपांतर नीलपंछी।
२. अंग्रेज़ी हिन्दी शब्द कोश का निर्माण।
३. बाईबल का हिन्दी अनुवाद।
(घ)
१. फ़ादर बुल्के का व्यक्तित्व एक छायादार वृक्ष के सामान था, जो सभी को आश्रय प्रदान करता था।
२. उनके व्यक्तित्व में मानवीय करूणा की दिव्य चमक थी। फ़ादर अपने व्यक्तिगत संबंधों के प्रति अत्यंत सम्बेदंशील थे तथा वे उनको बड़ी गम्भीरतापूर्वक निभाते थे।
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