Class 9 CBSE Hindi Course 'A' - Kshitij Bhag 1
बच्चे काम पर जा रहे हैं by Rajesh Joshi
NCERT Solutions - NCERT Answers
Question 1: कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
Answer: कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़कर तथा विचार करने पर मेरे मन-मस्तिष्क में चिंता और करूणा का भाव उमड़ता है। कारण इन बच्चों की खेलने-कूदने की आयु है परन्तु इन्हें भयंकर कोहरे में भी आराम नहीं है और काम पर जाना पड़ रहा है। मात्र पेट भरने की मजबूरी के कारण ही न चाहते हुए भी इन बच्चों को इतना ठंड में सुबह-सुबह उठकर काम पर जाना पड़ रहा है। इनका यह विवशता सोचकर चिंता होती है कि इन बच्चों की यह दुर्दशा कब और कैसे समाप्त होगी? उनकी इस दुर्दशा के लिए वे तो जिम्मेदार नहीं है। आखिर ये बच्चे कब तक पढ़ाई-लिखाई और खेलने-कूदने की दुनिया से दूर रहकर अपने पेट पालने की चिंता करते रहेंगे। न जाने कब समाज बाल-मजदूरी से मुक्ति पाएगा।
Question 2: कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि 'काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?' कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
Answer: किसी बात का विवरण देने का अर्थ होता है उस बात को सामान्य मानकर उसकी जानकारी दे देना। विवरण के साथ लेखक का कोई भावनात्मक लगाव नहीं होता। और न ही कोई गहरी चिंता होती है। यही वजह है जिसके चलते कवि का कहना है कि समस्या का केवल विवरण दे देना पर्याप्त नहीं है। इससे किसी समस्या का समाधान नहीं हो जाता।
किसी विषय या समस्या को प्रश्न के रूप में प्रस्तुत करने से उसके पीछे निहित चिंता और समस्या के साथ गहरा जुड़ाव प्रकट होता है। इससे सबका ध्यान भी आकर्षित होता है। अतः लेखक चाहते हैं कि बाल-मजदूरी की समस्या के साथ समाज का गहरा सरोकार होना चाहिए। उसे सामान्य बात मानकर नज़र-अंदाज कर देना उचित नहीं होगा होगा।
किसी विषय या समस्या को प्रश्न के रूप में प्रस्तुत करने से उसके पीछे निहित चिंता और समस्या के साथ गहरा जुड़ाव प्रकट होता है। इससे सबका ध्यान भी आकर्षित होता है। अतः लेखक चाहते हैं कि बाल-मजदूरी की समस्या के साथ समाज का गहरा सरोकार होना चाहिए। उसे सामान्य बात मानकर नज़र-अंदाज कर देना उचित नहीं होगा होगा।
Question 3: सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
Answer: जो बच्चें सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से वंचित हैं उसके पीछे मुख्य कारण है हमारी सामाजिक तथा आर्थिक व्यवस्था।
भारत में करोड़ों लोगों को पेट भर रोटी न जुटा पाने के कारण उन्हें भूखा रहना पड़ता है। गरीबी मिटाने के लिए उनके बच्चों को भी कामकाज करने पड़ते हैं। यह उनकी जन्मजात विवशता होती है। एक भिखारी, मजदूर या गरीब व्यक्ति का बच्चा खिलौने या रंगीन किताबें कहाँ से लाए? समाज की व्यवस्था भी बाल-श्रम को रोकने में सक्षम नहीं है। यद्धपि इस विषय में क़ानून है और सरकार भी इस दिशा में निरंतर कौशिश कर रही हैं किंतु वे बच्चों को निश्चित रूप से ये सुविधाएँ दिला पाने में पर्याप्त या समर्थ नहीं हैं। साथ ही सरकार के पास न इतने साधन हैं कि वह समाज से गरीबी को मिटा सके। इन्हीं वजहों से बहुत से बच्चें सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से वंचित रह जाते हैं।
भारत में करोड़ों लोगों को पेट भर रोटी न जुटा पाने के कारण उन्हें भूखा रहना पड़ता है। गरीबी मिटाने के लिए उनके बच्चों को भी कामकाज करने पड़ते हैं। यह उनकी जन्मजात विवशता होती है। एक भिखारी, मजदूर या गरीब व्यक्ति का बच्चा खिलौने या रंगीन किताबें कहाँ से लाए? समाज की व्यवस्था भी बाल-श्रम को रोकने में सक्षम नहीं है। यद्धपि इस विषय में क़ानून है और सरकार भी इस दिशा में निरंतर कौशिश कर रही हैं किंतु वे बच्चों को निश्चित रूप से ये सुविधाएँ दिला पाने में पर्याप्त या समर्थ नहीं हैं। साथ ही सरकार के पास न इतने साधन हैं कि वह समाज से गरीबी को मिटा सके। इन्हीं वजहों से बहुत से बच्चें सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से वंचित रह जाते हैं।
Question 4: दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
Answer: हममें से प्रत्येक व्यक्ति दिन-प्रतिदिन इन बच्चों को काम पर जाते देखता है, पर हमें यह अटपटा नहीं लगता है। इसका मुख्य कारण यह है कि हम इससे अभ्यस्त हो गए हैं। हमारी उदासीनता के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं :
१. हम संवेदनहीन हो गए हैं। हमें किसी का दुःख सालता नहीं है।
२. यह बच्चे निर्धन वर्ग के होते हैं अतः, हमारे ध्यान में नहीं आते।
३. समाज के अधिकांश लोग स्वार्थी हो गए हैं। उन्हें किसी से कोई वास्ता तब तक नहीं होता जब तक वह स्वार्थ-पूर्ति में बाधक नहीं बन जाते।
४. लोगों का जागरूक न होना। अधिकतर मनुष्य यह सोच ही नहीं पाते कि हर बच्चे को प्राथमिक सुख-सुविधा दिलाना सरकार का कर्तव्य है। इसलिए वे ईश्वर को और भाग्य को दोष देकर कोई प्रयत्न करने से रह जाते हैं।५. एक कारण यह है कि - विवशता। कई लोग सोचते हैं कि वे इस दिशा में कुछ नहीं कर सकते। इसलिए वे धीरे-धीरे इस ओर से उदासीन हो जाते हैं।
६. बच्चों द्वारा सस्ती मजदूरी उपलब्ध हो जाती है।
७. लोगों के मन में उपेक्षा का भाव समाया रहता है।
१. हम संवेदनहीन हो गए हैं। हमें किसी का दुःख सालता नहीं है।
२. यह बच्चे निर्धन वर्ग के होते हैं अतः, हमारे ध्यान में नहीं आते।
३. समाज के अधिकांश लोग स्वार्थी हो गए हैं। उन्हें किसी से कोई वास्ता तब तक नहीं होता जब तक वह स्वार्थ-पूर्ति में बाधक नहीं बन जाते।
४. लोगों का जागरूक न होना। अधिकतर मनुष्य यह सोच ही नहीं पाते कि हर बच्चे को प्राथमिक सुख-सुविधा दिलाना सरकार का कर्तव्य है। इसलिए वे ईश्वर को और भाग्य को दोष देकर कोई प्रयत्न करने से रह जाते हैं।५. एक कारण यह है कि - विवशता। कई लोग सोचते हैं कि वे इस दिशा में कुछ नहीं कर सकते। इसलिए वे धीरे-धीरे इस ओर से उदासीन हो जाते हैं।
६. बच्चों द्वारा सस्ती मजदूरी उपलब्ध हो जाती है।
७. लोगों के मन में उपेक्षा का भाव समाया रहता है।
Question 5: Not important for exam.
Question 6: बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे का होने समान क्यों है?
Answer: बच्चों को काम पर भेजना उनके बचपन को छीनना है। यह एक सामाजिक तथा आर्थिक विडंबना है। मानवता के प्रति एक गंभीर अपराध है जिसके चलते कुछ बच्चे खेल, शिक्षा और जीवन की उमंग से वंचित रह जाते हैं। बच्चों का काम पर भेजना उनके लिए एक शोषण है। इसे धरती तथा मानवता के लिए एक बड़ा हादसा कहा जा सकता है।
Question 7: काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आप को रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।
Answer: आज सुबह मुझे स्कूल जाना था। और इसलिए मैंने अपने होम वर्क भी पूरा कर लिया था। लेकिन क्या करूँ ?पिताजी बीमार हैं और माँ को उनकी देख-भाल करनी पड़ रही है। न पिताजी काम पर जा पा रहे हैं और न माँ। जिसके चलते माँ ने मुझे अपनी जगह बर्तन-सफाई के काम पर भेज दिया। मुझे यह काम बिलकुल पसंद नहीं है। वहाँ मालकिन मुझसे ऐसा व्यवहार करती हैं जैसे मैं उनकी खरीदी हुयी गुलाम हूँ। सच कहूँ तो मुझे वहाँ काम पर जाने से ग्लानी होती है। इधर माँ कहती है कि अगर मैं उनकी जगह काम पर न जाऊं तो उनका यह काम चला जाएगा और घर में पैसों की जरूरत है। मेरे से मेरा पढ़ाई भी ठीक-ठाक नहीं हो पाती। अब मेरा दुःख और समस्या कौन समझेगा।
Question 8: आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?
Answer: मेरे विचार से बच्चों को काम पर बिलकुल नहीं भेजा जाना चाहिए। कारण बच्चों की ऊम्र कच्ची होती है। उनके मन भावुक है। बचपन खेलने-खाने और सीखने की उम्र होती है। उन्हें पर्याप्त कोमलता और संरक्षण की आवश्यकता होती है।
बच्चों को काम पर भेजना उनके बचपन को छीनना है। इसके चलते वे खेल, शिक्षा, और जीवन की उमंग से वंचित रह जाते हैं। उससे उनका शोषण होता है। इसलिए बचपन में सभी को पढ़ने, खेलने-कूदने का अवसर मिलने के साथ-साथ अन्य सुविधाएँ भी समान रूप में उपलब्ध होनी चाहिए।
Additionally, solutions of CBSE hot questions of all type based on this chapter will be posted soon.
quite helpful
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