CBSE Class 10 Hindi Chapter 14, Kshitij Bhag 2
Ek Kahani Yah Bhi by Mannu Bhandari
एक कहानी यह भी (मन्नू भंडारी)
Chapter Summary l Summary of the Lesson
'एक कहानी यह भी' मन्नू भंडारी द्वारा आत्मपरक शैली में लिखी हुई आत्मकथ्य है। इस पाठ में यह बात बड़े ही प्रभावशाली ढंग से दर्शाई गई है कि बालिकाओं को किस तरह की पाबंदियों का सामना करना पड़ता है। अपने पिता से लेखिका के वैचारिक मतभेद का भी चित्रण हुआ है।
'एक कहानी यह भी' के संदर्भ में उल्लेखनीय बात यह है कि मन्नू भंडारी ने पारिभाषिक अर्थ में कोई सिलसिलेवार आत्मकथा नहीं लिखी है। अपनी आत्मकथ्य में उन्होंने उन व्यक्तियों और घटनाओं के बारे में उल्लेख किया है, जो उनके लेखकीय जीवन से जुड़े हुए हैं।
संकलित अंश में मन्नूजी के किशोर जीवन से जुड़ी कुछ घटनाओं के साथ उनके पिताजी और उनकी कॉलेज की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल के व्यक्तित्व विशेषरूप से उभरकर आया है, जो कि आगे चलकर उनके लेखकीय व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लेखिक ने बड़े रोचकिय ढंग से एक साधारण लड़की के असाधारण बनने की प्रारंभिक पड़ावों का वर्णन किया है। सन् '46-47' की आज़ादी की आँधी ने मन्नूजी को भी अछूता नहीं छोड़ा। छोटे शहर की युवा होती लड़की ने आज़ादी की लड़ाई में जिस तरह से भागीदारी की, उसमे उसका उत्साह, ओज, संगठन-क्षमता और विरोध करने का तरीका देखते ही बनता है। इन सब घटनाओं के साथ हो रहे अपने पिताजी के अंतर्विरोधों को भी लेखिका ने बखूबी उजागर किया है।
Question: 'एक कहानी यह भी' गद्य खंड का लेखक / लेखिका का परिचय क्या है ?
Answer: 'एक कहानी यह भी' हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी द्वारा लिखी हुई आत्मकथ्य है।
मन्नू भंडारी का जन्म सन् 1931 में मध्य प्रदेश के जिला मंदसौर, गाँव - भानपुरा में हुआ। उन्होंने स्नातक तक की शिक्षा राजस्थान के अजमेर शहर में प्राप्त की। बाद में उन्होंने हिंदी में एम.ए. किया। दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापन कार्य से अवकाश प्राप्ति के बाद दिल्ली में ही रहकर स्वतंत्र लेखन करने लगी।
मन्नू जी ने साहित्यिक रचनाओं के अलावा फ़िल्म एवं टेलीविज़न धारावाहिकों के लिए पटकथाएँ भी लिखी हैं।
उन्हें अपनी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें हिंदी अकादमी के शिखर सम्मान सहित भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पुरस्कार आदि शामिल हैं।
Question: मन्नू भंडारी के रचनाओं का साहित्यिक विशेषताएँ क्या हैं ?
Answer: मन्नू भंडारी की साहित्यिक रचनाओं में भाषा और शिल्पकला की सादगी तथा प्रामाणिक अनुभूति मिलती है। उनकी कहानियों और उपन्यासों में स्त्री-मन से जुड़ी अनुभूतियों के चित्रण की प्रधानता है। उनकी रचनाओं में भारतीय नारी के जीवन और उसकी विषमताओं का प्रभावशाली वर्णन देखने को मिलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में ज़्यादातर स्त्री के स्वतंत्र व्यक्तित्व का आकलन किया है।
Question: 'एक कहानी यह भी' में जो भाषा-शैली का प्रयोग हुआ है उसका एक संक्षिप्त विवरण दीजिए।
Answer: 'एक कहानी यह भी' मन्नू भंडारी द्वारा आत्मपरक शैली में लिखी हुई आत्मकथ्य है। मन्नू भंडारी के साहित्य में भाषा एवं शिल्प की सादगी देखने को मिलती है। कहानी के भावों के अनुरूप उन्होंने तत्सम, तद्भव तथा देशज शब्दों का समुचित प्रयोग किया है। साथ में कुछ अंग्रेजी और उर्दू शब्दों का प्रयोग किया गया है जो भाषा को और सहज व रोचक बना दिया है, उदाहरण स्वरूप -
तत्सम - अचेतन, प्रतिच्छाया, असहिष्णुता।
उर्दू - मंज़िल, अहसास, ज़िद, हौसला।
अंग्रेजी - कल्चर, गर्ल्स, क्लास।
Related Study Materials
'एक कहानी यह भी' के संदर्भ में उल्लेखनीय बात यह है कि मन्नू भंडारी ने पारिभाषिक अर्थ में कोई सिलसिलेवार आत्मकथा नहीं लिखी है। अपनी आत्मकथ्य में उन्होंने उन व्यक्तियों और घटनाओं के बारे में उल्लेख किया है, जो उनके लेखकीय जीवन से जुड़े हुए हैं।
संकलित अंश में मन्नूजी के किशोर जीवन से जुड़ी कुछ घटनाओं के साथ उनके पिताजी और उनकी कॉलेज की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल के व्यक्तित्व विशेषरूप से उभरकर आया है, जो कि आगे चलकर उनके लेखकीय व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लेखिक ने बड़े रोचकिय ढंग से एक साधारण लड़की के असाधारण बनने की प्रारंभिक पड़ावों का वर्णन किया है। सन् '46-47' की आज़ादी की आँधी ने मन्नूजी को भी अछूता नहीं छोड़ा। छोटे शहर की युवा होती लड़की ने आज़ादी की लड़ाई में जिस तरह से भागीदारी की, उसमे उसका उत्साह, ओज, संगठन-क्षमता और विरोध करने का तरीका देखते ही बनता है। इन सब घटनाओं के साथ हो रहे अपने पिताजी के अंतर्विरोधों को भी लेखिका ने बखूबी उजागर किया है।
Question: 'एक कहानी यह भी' गद्य खंड का लेखक / लेखिका का परिचय क्या है ?
Answer: 'एक कहानी यह भी' हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी द्वारा लिखी हुई आत्मकथ्य है।
मन्नू भंडारी का जन्म सन् 1931 में मध्य प्रदेश के जिला मंदसौर, गाँव - भानपुरा में हुआ। उन्होंने स्नातक तक की शिक्षा राजस्थान के अजमेर शहर में प्राप्त की। बाद में उन्होंने हिंदी में एम.ए. किया। दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापन कार्य से अवकाश प्राप्ति के बाद दिल्ली में ही रहकर स्वतंत्र लेखन करने लगी।
मन्नू जी ने साहित्यिक रचनाओं के अलावा फ़िल्म एवं टेलीविज़न धारावाहिकों के लिए पटकथाएँ भी लिखी हैं।
उन्हें अपनी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें हिंदी अकादमी के शिखर सम्मान सहित भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पुरस्कार आदि शामिल हैं।
Question: मन्नू भंडारी के रचनाओं का साहित्यिक विशेषताएँ क्या हैं ?
Answer: मन्नू भंडारी की साहित्यिक रचनाओं में भाषा और शिल्पकला की सादगी तथा प्रामाणिक अनुभूति मिलती है। उनकी कहानियों और उपन्यासों में स्त्री-मन से जुड़ी अनुभूतियों के चित्रण की प्रधानता है। उनकी रचनाओं में भारतीय नारी के जीवन और उसकी विषमताओं का प्रभावशाली वर्णन देखने को मिलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में ज़्यादातर स्त्री के स्वतंत्र व्यक्तित्व का आकलन किया है।
Question: 'एक कहानी यह भी' में जो भाषा-शैली का प्रयोग हुआ है उसका एक संक्षिप्त विवरण दीजिए।
Answer: 'एक कहानी यह भी' मन्नू भंडारी द्वारा आत्मपरक शैली में लिखी हुई आत्मकथ्य है। मन्नू भंडारी के साहित्य में भाषा एवं शिल्प की सादगी देखने को मिलती है। कहानी के भावों के अनुरूप उन्होंने तत्सम, तद्भव तथा देशज शब्दों का समुचित प्रयोग किया है। साथ में कुछ अंग्रेजी और उर्दू शब्दों का प्रयोग किया गया है जो भाषा को और सहज व रोचक बना दिया है, उदाहरण स्वरूप -
तत्सम - अचेतन, प्रतिच्छाया, असहिष्णुता।
उर्दू - मंज़िल, अहसास, ज़िद, हौसला।
अंग्रेजी - कल्चर, गर्ल्स, क्लास।
Related Study Materials
Good
ReplyDelete