Hindi Essay (Nibandh / Hindi Rachna) - Varsha Ritu
वर्षा ऋतु निबंध
वर्षा ऋतु ऋतुओं में पटरानी है। भारत की सभी छः ऋतुओं में यह एक अनुपम ऋतु है। वैसे तो इस ऋतु का पर्यटन-काल आश्विन से कार्तिक तक है, किंतु राम-नाम के युगल वर्षों जैसे सावन और भादों मास ही इसकी मनोवांछित लीला-भूमि हैं।
गर्मी के बाद जब वर्षा आती है, तो इसके प्रभाव से प्रकृति लहलहा उठती है। सूखे पौधों, सुखी पत्तियों और प्रत्येक प्राणी में नई जान आ जाती है। लगता है, जैसे हरी मखमली कालीन पर प्रकृति - सुन्दरी लेटी हो। संसार के बड़े-बड़े, कवियों ने इस ऋतु की काफ़ी प्रशंसा की हैं और इस पर अच्छी - अच्छी कविताएँ लिखी हैं। 'रामचरितमानस' में श्री तुलसीदास वर्षा के वर्णन इन शब्दों में करते हैं :
वर्षाकाल मेघ नभ छास। गरजत लागत परम सुहास।
दामिनि दमक रही घन माहीं। खल की प्रीति जथा थिर नाहीं।
वर्षा ऋतु संसार के लिए नए जीवन का वरदान लेकर आती है। यह प्यासों को पानी देती है और माँ की तरह मनुष्य का पालन - पोषण करती है। सभी नया जीवन पाकर असीम आनंद का अनुभव करते हैं। यदि वर्षा न हो तो चारों ओर हाहाकार मच जाए, अन्न की उपज न हो और देश में अकाल पड़ने लगे।
वर्षा ऋतु कभी जीवन देती है, तो कभी जीवन लेती भी है। जहाँ एक ओर यह हरियाली लाती है, वहीं अधिक वर्षा के कारण गाँव तथा नगरों को डुबा देती है। यदि बाढ़ आई, तो खेत-के-खेत और गाँव-के-गाँव नष्ट हो जाते हैं। धन और जन की बड़ी हानि होती है। जहरीले कीड़े, मच्छर और मक्खियाँ बड़ी संख्या में निकल आती है, जिनसे मलेरिया, हैजा आदि रोग फैलने लगते हैं।
फिर भी वर्षा आनन्द, आशा और उत्साह की ऋतु है। हमारा पूरा जीवन वर्षा पर ही आधारित है। वर्षा ऋतु में हम रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस आदि अनेक त्यौहार मनाते हैं। यही कारण है कि सभी ऋतुओं में इसका सबसे ऊँचा स्थान है और यह सभी ऋतुओं की 'रानी' कहलाती है। यदि यह न होती, तो जीवन और जगत की सत्ता ही सदा के लिए मिट गयी होती।
heheboi
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