Samachar Patra - Hindi Essay Rachna | News Paper - Hindi Nibandh
समाचार पत्र (समाचार पत्र के महत्व) - हिंदी रचना (निबंध)
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मनुष्य के हृदय में कौतूहल और जिज्ञासा दो ऐसी प्रवृत्तियाँ हैं, जिनसे प्रेरित होकर वह संसार की नित्य नवीन घटने वाली घटनाओं से परिचित होना चाहता है। देश-विदेश की खबरें पहुँचाने वाले साधन को 'समाचार पत्र' कहते हैं। सुबह बिस्तर छोड़ते ही नगरों में पता नहीं भगवान की याद आती है या नहीं, लेकिन समाचार पत्र की याद अवश्य आती है।
आज से लगभग तीन शताब्दी पहले लोगों को समाचार पत्रों के विषय में कोई ज्ञान नहीं था। केवल संदेश वाहक के माध्यम से ही समाचार एक-दुसरे तक पहुँचते थे। समाचार पत्र (Samachaar Patra / News Paper) का जन्म इटली के वेनिस नगर में हुआ था। जनता ने इसकी उपयोगिता का अनुभव किया। १७वीं शताब्दी में इसका प्रचार सारे यूरोप में हो चुका था। १८वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने भारतवर्ष में भी समाचार पत्रों का श्रीगणेश किया। ईसाई पादरियों ने भारतवर्ष की भोली-भाली जनता के हृदय तक अपने धर्म की विशेषताओं को पहुँचाने के लिए 'समाचार-दर्पण' नामक समाचार पत्र निकाला। उससे प्रभावित होकर तथा उन्हें मुहतोड़ जवाब देने के लिए राजा राममोहन राय ने 'कौमुदी' नामक पत्र निकाला। ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने 'प्रभात' नामक समाचार पत्र का सफल संपादन किया। इसके बाद देश में समाचार पत्रों की सर्वप्रियता बढ़ने लगी और देश के विभिन्न अंचलों से भिन्न-भिन्न भाषाओं में समाचार-पत्र निकलने लगे।
समाचार पत्र कई प्रकार का होता है - दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक इत्यादि। इन सब में दैनिक पत्र का प्रसार सबसे अधिक है। मशीनों तथा मुद्रण कला के उन्नति के वजह से आज समाचार पत्रों के दाम भी बहुत कम हो गए हैं।
समाचार पत्र आधुनिक जीवन का एक अनिवार्य अंग बन चुका है। राष्ट्रपति भवन से लेकर पनवाड़ी की दूकान तक आप इन्हें विभिन्न भाषाओं में पा सकते हैं। समाचार-पत्र एक बड़ी शक्ति है। समाचार पत्रों में केवल राजनैतिक ख़बर ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक-व्यपार, खेल-कूद, विज्ञान, मनोरंजन, चिकित्सा, भौगलिक, मौसम-संबंधी आदि सभी खबरें छपतीं हैं। इन सबो के अलावा समाचार पत्रों में हमारे दैनंदिन जीवन से जुड़े हुए कई ऐसी सूचनाएं रहती हैं जिनके जानकारी मिल जाने से हमे उन मामलों में निर्णय करने में सुविधा होती है। यद्धपि सुचना, प्रसारण और मनोरंजन प्राप्त करने के लिए आज हमारे पास कई साधन जैसे - टीवी, मोबाइल आदि उपलब्ध हैं लेकिन इनके होने के बावजूद समाचार पत्र की भूमिका या इसकी महत्व में कोई कमी नहीं आई है।
समाचार-पत्र के महत्व (Importance of Newspaper) बढ़ने के साथ-साथ संपादकों के दायित्व भी बढ़ गया है। एक अच्छा संपादक जीवन को अच्छे मार्ग पर ले जाता है तथा जन-जीवन को समाज और विश्व का सही प्रतिविम्ब दिखाता है। जनमत के निर्माण में इनका बहुत बड़ा हाथ है। इनकी वाणी जनता-जनार्दन की वाणी है। भारतवर्ष की राष्ट्रीय चेतना को सजग बनाने में समाचार पत्रों ने आशातीत योगदान दिया है और उसी का फल है कि आज हम स्वतंत्र हैं और हमारे देश का मस्तक गर्वोन्नत है।
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