Class 7 Ruchira - Laalangeetam (लालनगीतम्)
CBSE Notes, NCERT Solutions, CBSE Guide for Sanskrit - Ruchira
शब्दार्थ, श्लोक का अर्थ, Meaning of Sanskrit Slokas (Stanzas translated)
(१) उदिते सूर्ये . . . . .
. . . . . कमलं विकसति।
उदिते = उदय होने पर। धरणी = पृथ्वी। कूजति = कूजता है। विकसति = खिलता है।
Meaning (Summary): सूर्य के निकलने पर पृथ्वी हँसती है (अर्थात् सर्वत्र प्रकाश फैल जाता है), पक्षी कूजता है और कमल खिलता है।
. . . . . सेलती नौका।
(२) नदती मन्दिरे . . . . .
. . . . . सेलति नौका।
ढक्का = नगाड़ा। नदती = बजता है। सरितः = नदी के। सलिले = जल में। सेलति = तैरती है।
Meaning (Summary): (प्रातः काल) मन्दिर में जोर से नगाड़ा बजता है। नदी के जल में नौका तैरती है।
(३) पुष्पे पुष्पे . . . . .
. . . . चित्रपतङ्गाः।
पुष्पे - पुष्पे = प्रत्येक फूल में। डयन्ते = उड़ते हैं। चित्रपतङ्गाः = तितलियाँ। नानाo = विविध।
Meaning (Summary): प्रत्येक फूल में भिन्न - भिन्न रंग हैं तथा उन पर तितलियाँ मण्डराती हैं।
(४) वृक्षे वृक्षे . . . . .
. . . . . . चित्रम्।
नूतनo = नया। वृक्षे वृक्षे = प्रत्येक वृक्ष पर। विभाति = सुशोभित होता है। चित्रम् = अनोखा।
प्रत्येक वृक्ष पर नया पत्र अनेक रंगों के द्वारा अनोखा सुशोभित हो रहा है।
(५) धेनुः प्रातर्यच्छति . . . . .
. . . . . मधुरं स्निग्धम्।
धेनुः = गाय। यच्छति = देती है। दुग्धम् = दूध। मधुरम् = मीठा। स्स्निग्धम् = चिकना, प्रिय।
Meaning (Summary): प्रातः गाय शुद्ध, स्वच्छ, मीठा और चिकना (अर्थात् प्यारा) दूध देती है।
(६) गहने विपिने . . . . .
. . . . . सिंहः नर्दति।
गहने = घने। विपिने = जंगल में। व्याघ्रः = बाघ। गर्जति = गर्जना करता है। नर्दति = दहाड़ता है।
Meaning (Summary): घने जंगल में बाघ गर्जना करता है। वहाँ सिंह जोर से दहाड़ता है।
(७) हरिणोऽयं खादति . . . . .
. . . . . पश्यति सविलासम्।
खादति = खाता है। नवo = नई। सर्वत्र = चारों ओर। पश्यति = देखता है। सविलासम् = विलासपूर्वक।
Meaning (Summary): यह हरिण नई घास को खा रहा है तथा चारों ओर विलासपूर्वक देखता है।
(८) उष्ट्रः तुङ्गः . . . . . .
. . . . . . भारं निवहति।
उष्ट्रः = ऊँट। तुङ्गः = ऊँचा। मन्दम् = धीरे - धीरे। गच्छति = जाता है। पृष्ठे = पीठ पर।
निवहति = ढोता है।
Meaning (Summary): ऊँचा ऊँट धीरे - धीरे चलता है। (वह) पीठ पर भार ढोता है।
(९) घोटकराजः क्षिप्रं . . . .
. . . . . न खादति।
घोटकराजः = घोड़ा। क्षिप्रं = शीघ्र। धावति = दौड़ता है। किमपि = कुछ भी। खादति = खाता है। धावनo = दौड़ने के।
Meaning (Summary): घोड़ा शीघ्र दौड़ता है। (वह) दौड़ते समय कुछ भी नहीं खाता है।
(१०) पश्यत भल्लुकमिमं . . . . .
. . . . . कुरु करतालम्।
पश्यत = देखो। भल्लुकम् = भालू को। इमम् = इस। करालम् = भयानक। नृत्यति = नाचता है। कुरु = बजाओ। करतालम् = ताली।
Meaning (Summary): इस डरावने भालू को देखो। (यह) थथथै नाचता है। तालियाँ बजाओ।
NCERT Solutions of Sanskrit Chapter Exercise Questions
(ख) किम् विकसति?
(ग) व्याघ्रः कुत्र गर्जति?
(घ) हरिणः किं खादति?
(ङ) मन्दं कः गच्छति?
(ग) व्याघ्रः विपिने गर्जति।
(घ) हरिणः नवघासम् खादति।
(ङ) मन्दं उष्ट्रः गच्छति।
(ख) पुष्पेषु चित्रपतङ्गाः डयन्ते।
(ग) उष्ट्रः पृष्ठे भारं वहति।
(घ) धावनसमये अश्वः किमपि न खादति।
(ङ) उदिते सूर्ये धरणी विहसति।
(ग) कः पृष्ठे भारं वहति?
(घ) कदा अश्वः किमपि न खादति?
(ङ) उदिते कस्मिन् धऱणी विहसति?
पृथिवी |
देवालये |
जले |
वने |
मृगः |
भयङ्करम् |
मन्दम् |
नूतनम् |
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नीचैः |
स्निग्धम् |
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कठोरः |
पर्याप्तम् |
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पुरातनम् |
उच्चैः |
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क्षिप्रम् |
मन्दम् |
क्षिप्रम् |
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नीचैः |
उच्चैः |
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कठोरः |
स्निग्धम् |
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पुरातनम् |
नूतनम् |
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पर्याप्तम् |
भल्लुकः |
(तृतीया-एकवचने) |
- |
उष्ट्रः |
(पञ्चमी-द्विवचने) |
- |
हरिणः |
(सप्तमी-बहुवचने) |
- |
व्याघ्रः |
(द्वितीया-एकवचने) |
- |
घोटकराजः |
(सम्बोधन-एकवचने) |
- |
भल्लुकः |
(तृतीया-एकवचने) |
भल्लुकेन |
उष्ट्रः |
(पञ्चमी-द्विवचने) |
उष्ट्रभ्याम् |
हरिणः |
(सप्तमी-बहुवचने) |
हरिणेषु |
व्याघ्रः |
(द्वितीया-एकवचने) |
व्याघ्रम् |
घोटकराजः |
(सम्बोधन-एकवचने) |
हे घोटकराज !
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खगाः | विकसन्ति | कमलानि | उदेति | क्रीडन्ति |
डयन्ते | सूर्यः | चित्रपतङ्गाः | कूजन्ति | बालाः |
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